अंधेरे रास्ते

अंधेरे रास्ते

रास्तों के अंधेरे कब रोकते हैं, चलना शुरू तो करो
राह के पत्थर कब टोकते हैं, गिर के संभलना तो सीखो
असली अंधेरा बाहर नहीं, कहीं भीतर छुपा है
डर ठोकरों का नही तेरा मन खुद डरा हुआ है।

जमाना क्या कहेगा ये न सोच, वो हर हाल में कुछ तो कहेगा
उनकी सुनता जो रहेगा तो क्या खाक तू जिएगा
वक्त सही कब आएगा, कब तक इंतजार तू करेगा
वक्त फिर नही आ पाएगा, अगर आज अभी कुछ नही करेगा।

कर हौसला खुद के हौसले पर
बढ़ा कदम इसे न अब तू पीछे धर
तेरे विश्वास से पर्वत भी हिल जायेंगे
देखना एक दिन दुनिया वाले तुझ को सराहेंगे।।

आभार – नवीन पहल – ०८.१०.२०२२ 👍❤️🙏🏻🌹

# प्रतियोगिता हेतु


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10 Comments

Supriya Pathak

11-Oct-2022 06:42 PM

Bahut khoob 🙏🌺

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Suryansh

10-Oct-2022 08:31 PM

बहुत ही उम्दा और सशक्त लेखन

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बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ

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